यीशु को छोड़ कर मैं, कहाँ जाऊँगा
किस दर पे जाके अपना, सिर झुकाऊँगा
पूरब में जाऊँ तो, वहाँ पर तू है
पश्चिम में जाऊँ तो, वहाँ पर भी है
उत्तर और दक्षिण में भी मौजूद है
चारों दिशाओं को थामे हुए
यीशु को…
पहाड़ों में वादियों में, तेरा काम है
नदी समुंद्र में भी तेरा हाथ है
पैड़ों और पौधों में भी तेरी सोच है
कितना विशाल मेरा यीशु तू है
यीशु को…
पापों से मन फिराया, मेरे अंदर यीशु आया
ईमान यीशु पे लाया, जीवन अनंत पाया
परमेश्वर का पावन पुत्र यीशु तू है
मेरा परमेश्वर यीशु ही है
यीशु को…
जहाँ मैं जाऊँ मेरे, संग संग यीशु रहता
अपने हाथों से मेरी, रक्षा है यीशु करता
आगे और पीछे से वो घेरे मुझे हैं
दायें और बायें से भी थामें हुए
यीशु को…