तुम जगत की ज्योति हो
तुम जगत की ज्योति हो तुम धरा के नमक भी हो- 2 तुमको पैदा इसलिये किया तुमको जीवन इसलिये मिला उसकी मर्र्जी कर सको सदा तुम जगत… वो नगर जो बसे शिखर पर छिपता ही नहीं, किसी की नज़र तुम्हारे भले काम चमके इस तरह तुम जगत… पड़ोसी से प्रेम, तुमने सुना है दुश्मनों से …