जीवन की रोटी है तू

जीवन की रोटी है तू जीवन का पानी है तू खाता है जो ये बदन पीता है जो ये लहू ना भूखा रहे ना प्यासा रहे जीवन की रोटी है तू कोड़े खाये, खून बहाया कर्बै-मुसलसल, सलीब उठाये काँटों का ताज पहने मसीहा कलवरी मौत मेरे पाप उठाये खाता है जो… मुँह-ए-मुबारक पे थूका गया …

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