अम्बर भी नया धरती भी नई

  अम्बर भी नया, धरती भी नई और  नया येरूशलेम होगा हर सुबह नई हर शाम नई  हर वक्त सुहाना होगा सुन्दर सा नगर एक होगा –  अंधे की आँख खुलेगी, बहरे का कान खुलेगा –  दौडेगा जोर से लंगडा, गूंगा महिमा गाएगा कोई कष्ट नहीं, आंसू भी नहीं बस प्यार हे प्यार होगा – …

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