प्रभु महान, विचारूं कार्य तेरे
कितने अद्भुत, जो तूने बनाये
देखूँ तारे, सुनूँ गर्जन भयंकर
सामर्थ तेरी, सारे भूमण्डल पर,
प्रशंसा होवे प्रभु यीशु की
कितना महान, कितना महान
वन के बीच में, चराई मध्य में विचरूँ,
मधुर संगीत, मैं चिड़ियों का सुनूँ
पहाड़ विशाल, से जब मैं नीचे देखूँ,
झरने बहते लगती शीतल वायु,
प्रशंसा होवे…
जब सोचता हूँ, कि पिता अपना पुत्र,
मरने भेजा, है वर्णन से अपार
कि क्रूस पर उसने, मेरे पाप सब लेकर,
रक्त बहाया कि मेरा हो उद्धार,
प्रशंसा…
मसीह आवेगा, शब्द तुरही का होगा, मुझे लेगा
जहाँ आनन्द महान
मैं झुकूँगा, साथ आदर
भक्ति दीनता, और गाऊँगा
प्रभु कितना महान,
प्रशंसा…
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