मेरी रूह खुदा की प्यासी है
मेरी रूह
जैसे हिरणी पानी
के नालों को तरसती है
मेरी रूह
मेरी रूह
रात और दिन आँसू बहते हैं
दुनिया वाले यह कहते हैं
है कौन कहाँ है तेरा खुदा
क्यों है इतना बेचैन यह दिल
क्यों जान ये गिरती जाती है
होगा किस दिन दीदार तेरा
कब होगा मिलना रू-ब-रू
मेरी रूह
यरदन की जमीं से गाऊँगा
कोहे-मिजगार से गाऊँगा
गहराओं से गहराओं तक
रात और दिन होगा तेरा करम
मैं गीत दुआ के गाऊँगा
वोह मुझपे करे अपनी रहमत
है मेरी बस ये आरजू
मेरी रूह…
दुश्मन की मलामत तीर सी है
क्यों उसके जुल्म का सोग करूँ
चट्टान है मेरी मेरा खुदा
वोह मुझसे यह हरदम कहते हैं
है कौन कहाँ है तेरा खुदा
होगा किस दिन दीदार तेरा
मेरे टूटे दिल की आस है तू
मेरी रूह…