हर पल का तू ही है खुदा
साँसों का वो ही मम्बा
बाँहें जो फैलाये खड़ा
आजा तू क्यूँ दूर खड़ा
चिथड़े उड़े, कोड़ों से
बाल सजे, काँटों से
दाढ़ी नुच्ची, हाथों से
आजा तू…
लहू लहू, उसका बदन
बख्शा उसी ने, है सुखन
उसको दे तन और मन
आजा तू…
पाप बना, तू रास्त बने
इफ्ज़ी हुआ, कि तू ना मरे
छेदा गया, तू जीता रहे
आजा तू…