धन्यवाद सदा, प्रभु ख्रीस्त तुझे
तेरे सन्मुख शीश नवाते हैं
हम तेरी आराधना करने को
दरबार में तेरे आते हैं
धन्य वीरों का इस मंडली के
तेरे नाम पे जो बलिदान हुए
हम उनके साहस त्याग को ले
नित्य आगे बढ़ते जाते हैं
धन्यवाद सदा…
अपराध क्षमा कर दया निधी
बल पौरुष दे अगुवाई कर
फिर अपने तन मन जीवन को,
वेदी पर आज चढ़ाते हैं
धन्यवाद…
जिस क्रूस पे तेरा रक्त बहा
संसार के पापी जन के लिये
उस क्रूस ध्वजा से प्रेम तेरा
हम दुनिया में फहराते हैं
धन्यवाद सदा…