चले आओ, थके लोगों – 2
मैं ही यीशु, जो विश्राम दूँ
ये बोझ जरा, मुझे दे दो
सलीब पर सब उठा लूँगा
चले आओ…
क्या बेकार हो, अकेले पड़े
निराशा ही है, सहारा नहीं
ना घर बार है, पड़ोसी नहीं
मददगार का, निशां ही नहीं
चले आओ…
क्या दिल टूटा, हताश पड़े
ना कल का पता, ठिकाना कहाँ,
क्या आँसू कभी, ना रुकते यहाँ,
दुखों की घड़ी, ना कटती यहाँ
चले आओ…
डरो ना उठो, भरोसा रखो
जाँ दे तुम्हें, छुड़ाया मैंने
हमेशा रहो, मेरे घर में
पिता नाम ले, बुलाता तुम्हें
चले आओ…